Rumored Buzz on बबूल के फायदे और नुकसान



बबूल के गोंद में मौजूद पोषक तत्व फाइबर

बहुत लोग अधिक पसीना आने की वजह से काफी ज्यादा परेशान रहते हैं। तो अगर आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं तो बबूल का उपयोग करके देखें। आपको इसका लाभ जरूर मिल सकता है।

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जिन लोगों को कीकर गोंद से एलर्जी हो सकती है उनको इसका उपयोग करने से बचना चाहिए।

भूख की कमी या भोजन से अरुचि की समस्या को ठीक करने के लिए बबूल या कीकर की फली का अचार लें। इसमें सेंधा नमक मिलाकर खिलाएं। इससे भूख बढ़ती है, और जठराग्नि प्रदीप्त होती है।

बबूल, जामुन और फूली हुई फिटकरी को मिलाकर काढ़ा बना लें और फिर उससे कुल्ला करें। नियमित तौर पर ऐसा करने मुंह के कई प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं।

जलोदर रोग में फायदे के लिए बबूल के छाल से बने काढ़ा को छाछ के साथ पीने से काफी आराम check here मिल सकता है।

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एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण गुलमोहर के पत्तों का उपयोग इस रोग में फायदेमंद है. à¤¦à¥‚ध à¤•à¥‡ साथ पीले रंग के गुलमोहर के पत्ते को पीसकर, à¤¬à¤µà¤¾à¤¸à¥€à¤° के मस्सों à¤ªà¤° लगाने से आराम मिल सकता है.

इसके अलावा बबूल के पत्ते को पीसकर उसका पेस्ट लगाने से भी पसीना आना कम हो जाता है।

टॉन्सिल ठीक करे बबूल के गोंद का सेवन करने से टॉन्सिल के कारण होने वाली सूजन से निजात मिलती है। इसमें मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुण टॉन्सिल से राहत दिलाने में सहायक होते हैं।

यह लम्बा, झाड़ीदार और कांटेदार वृक्ष होता है। इसके कांटे लम्बे तथा तीखे होते हैं। इसके पत्ते बबूल के पत्तों जैसे होते हैं, लेकिन उससे कुछ बड़े और गहरे हरे रंग के होते है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी फलियां लम्बी होती हैं। फलियां कच्ची अवस्था में हरे रंग की, चपटी तथा मुड़ी हुई होती हैं।

बबूल की छाल को नियमित रूप से चबाने से मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है।

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