दही में मिलाकर à¤à¥€ आप बबूल की गोंद को खा सकते हैं।
बबूल की गोंद खाने के जहां फायदे हैं वहीं इसकी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मातà¥à¤°à¤¾ खाने के कà¥à¤› नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ à¤à¥€ हो सकते हैं। जैसे कि
पीरियडà¥à¤¸ के समय होने वाले कà¥à¤°à¥ˆà¤‚पà¥à¤¸ और पीरियड से संबंधित अनà¥à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में गà¥à¤²à¤®à¥‹à¤¹à¤° के फूल को सà¥à¤–ाकर इसका चूरà¥à¤£ का सेवन आराम पहà¥à¤‚चा सकता है.
बà¥à¤¯à¤¾à¤œ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त इसे और किस नाम से जाना जाता है - byaaj ka pratishthit siddhaant ise aur kis naam se jaana jaata hai
à¤à¤•à¥à¤œà¤¿à¤®à¤¾ के इलाज के लिठबबूल के पेड़ की छाल और आम की छाल पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ होती है। यह तरीका आजमाया हà¥à¤† है। इससे à¤à¤•à¥à¤œà¤¿à¤®à¤¾ जैसी बीमारियां दूर हो जाती है।
बबूल, जामà¥à¤¨ और फूली हà¥à¤ˆ फिटकरी को मिलाकर काढ़ा बना लें और फिर उससे कà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ करें। नियमित तौर पर à¤à¤¸à¤¾ करने मà¥à¤‚ह के कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के रोग ठीक हो सकते हैं।
बवासीर यानी पाइलà¥à¤¸ के इलाज में गà¥à¤²à¤®à¥‹à¤¹à¤° फायदेमंद हो सकती है. बवासीर में à¤à¤¨à¤¸ के पास की नसों में सूजन आ जाती है, जिससे मल तà¥à¤¯à¤¾à¤— के समय दरà¥à¤¦ होता है और बà¥à¤²à¤¡ à¤à¥€ आता है.
वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ विचारधारा, आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨, कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ या दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ है जिसने ...
बबूल की दो पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ होती हैं। जिनमें से à¤à¤• होती है शà¥à¤µà¥‡à¤¤ खदिरी या तà¥à¤°à¤¿à¤•à¤‚टकी और दूसरी कà¥à¤·à¥à¤¦à¥à¤° किंकिरात या कà¥à¤·à¥à¤¦à¥à¤° बरà¥à¤¬à¥à¤°à¥¤
गà¥à¤°à¥‡à¤µà¥€ बनाने के लिठà¤à¥€ इसे उपयोग में लाया जा सकता है।
(और पढ़ें – टॉनà¥à¤¸à¤¿à¤² के कारण, लकà¥à¤·à¤£, इलाज और बचाव)
दसà¥à¤¤ को बंद करने के लिठबबूल के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से बने पेसà¥à¤Ÿ को जल में घोलकर पिà¤à¤‚। इससे फायदा होता है।
बबूल का पेड़ निःसंदेह ही बिमारियों से लड़ने में मदद करता है इसकी औषधीय गà¥à¤£ रोगो के उपचार के लिठफायदेमंद है। इसकी हरी टहनी दातà¥à¤¨ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाई जाती है। यह दातों को साफ-सà¥à¤µà¤šà¥à¤› रखने में कारगर होता है।
(और more info पढ़ें – मà¥à¤‚ह के छाले का इलाज और घरेलू उपाय)
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